Friday, February 27, 2009

साभार:अनिमेश बिस्वास

बभनगमाबाली भौजीक जीवनक महत्वपूर्ण
घटना सभक एकटा संक्षिप्त विवरणिका

आ से एहेन अहिबाती के हेती
जे बभनगमाबाली भौजीक सोहाग-भाग देखि जरि नइँ जेती

ओना मानलहुँ
जे हुनका पोथी-पतराक दर्शन नइँ भेलनि

मानलहुँ जे पाबनि-तिहारे हुनका तेल-कूड़ भेटलनि

मनलहुँ जे चाभीक गुच्छा
ओ कहियो अपन आँचर में नहि बान्हि सकलीह

ईहो मानलहुँ जे लाख कबुलाक बादो
आजीवन ओ दोसर पुत्र-रत्न प्राप्त नहि क’ सकलीह

मुदा निस्सन्देह
एकटा भरल-पूरल जीवन केँ छाँटैत-फटकैत
अपन 37 बरखक बयस में ओ
38289 टा सोहारी पकेलीह
2173 डेकची भात पसेलीह
13000 बेर बर्त्तन-बासन माँजलीह
307 बेर आँगन निपलीह
47 टा साड़ी आ 92 टा ब्लाउज पहिरलीह
275 राति भूखल सुतलीह
हुनका 3 बेर भेटलनि सम्भोगक सुख आ 949 बेर भेलनि बलत्कार
बेटी जनमौलनि 4 टा
5 बेर भेलनि गर्भपात

मुदा ई देखू सबसँ मार्मिक बात
जे ठीक बरसातिक प्रात
जखन हुनक सीथ रहनि सिनूर सँ कहकह करैत
आ भरल रहनि लहठी सँ हाथ
तखन अपन स्वामीक आगू ओ
बिना अन्न-जल ग्रहण कयने भ’ गेली विदा

अथ वैदेही कथा

ओकरो आँखि मे
अगहनक रौद आ फागुनक मधु उतर’ लगैत छैक
ओकरो सपना में उड़ियाब’ लगैत छैक रंग
ओकरो देह बाज’ लगैत छैक
मौसमक संग-संग

ओकरो पड़ोसिया
ओकरा देखिक’ कनफुसकी कर’ लगैत छैक
ओकरो माए ‘कुलच्छनी’ बेटीक चालि-चलन देखिक’
कानए-उसझए लगैत छैक
ओकरो बाप भटक’ लगैत छैक-
गामे-गाम
एक दिन ओहो चल जाइत अछि सासुर
एक दिन बिला जाइत छैक ओकरो नाम

एक बेर आर अपन नैहर जयबाक मनोरथ लेने
ओहो पसबैत अछि भात
आ कहैत अछि-
हमरा त मड़ुएक रोटी नीक लगैत अछि

ओहो नीपैत अछि चिनवार

लेपैत अछि टुटलहा ओसार
भोर-साँझ माँजैत अछि डेकची-लोहियाक अम्बार
ओकरो काया बनि जाइत छैक पीड़ाक खम्हार

ओहो झहरैत जाइत अछि
टूटल घर केँ टूट’ सँ बचाब’ मे

ओहो नैहर सँ आयल लोक केँ पीढ़ी दैत अछि
जल पियाबैत अछि आ तमाकू दैत अछि
आ कहैत अछि-
कतेक सुख अछि! कतेक सुख अछि!

3 comments:

  1. मथिली में अहांक पोस्ट देखी क मन खुस भा गेल ...

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  2. कृष्णमोहन जी नाम सुनने रहों, मुदा पढ़बाक मौका न भेटल रहे। निक लागल खासकर इ लाइन कि कतेक सुख अछि........मुदा इ सच छै.वा.....

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  3. कानए-उसझए लगैत छैक
    ओकरो बाप भटक’ लगैत छैक-
    गामे-गाम
    एक दिन ओहो चल जाइत अछि सासुर
    एक दिन बिला जाइत छैक ओकरो नाम
    bad nik

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