tag:blogger.com,1999:blog-80571702682043393852023-07-31T08:29:10.249-07:00देसिल बयनाके पतिया लय जायत रे...Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08572611443817710195noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-8057170268204339385.post-42206624639167264112009-03-24T12:09:00.000-07:002009-03-24T12:13:59.140-07:00<a href="http://1.bp.blogspot.com/_yPmU8_KKUfs/SckwXq9DITI/AAAAAAAAACs/PWL1U4vcWjw/s1600-h/Shrikant%20Jadhav%20(2)%20-%20Red%20Flowers%20-%20Acrylic%20on%20Canvas,%2030%20x%2040%20inches,%20Rs.50000.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5316834018313052466" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 350px; CURSOR: hand; HEIGHT: 308px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://1.bp.blogspot.com/_yPmU8_KKUfs/SckwXq9DITI/AAAAAAAAACs/PWL1U4vcWjw/s400/Shrikant%2520Jadhav%2520(2)%2520-%2520Red%2520Flowers%2520-%2520Acrylic%2520on%2520Canvas,%252030%2520x%252040%2520inches,%2520Rs.50000.jpg" border="0" /></a><br /><div><span style="font-size:130%;"><span style="font-size:100%;"> </span><strong>हमर प्रेम<br /></strong></span><br />हमर ठोरक पपड़ी पर जे एकटा मर्म सुखा रहल अछि<br />हमर जिह्वा पर जे धूरा उड़ि रहल अछि<br />हमर सोनितक धार सँ जे धधरा उठि रहल अछि<br />हमर देहक शंख सँ जे समुद्रक आवाज आबि रहल अछि<br />हमर आत्माक अंतरिक्ष मे जे चिड़ै-चुनमुनी कलरव क’ रहल अछि<br />हमर स्मृतिक गाछ पर जे झिमिर-झिमिर बरखा भ’ रहल अछि<br />तकरा सभक चोट आ खोंच केँ<br />टीस आ मोंच केँ<br />रूप आ रंग केँ<br />स्वर आ गंध केँ<br />कोना पानक एकटा बीड़ा बनाक’<br />हम अहाँक आगू राखि दी आ कही-<br />लिअ’ ग्रहण करू<br />ई थिक अहाँक प्रति हमर प्रेम…<br /><br />जखन कि हमरा बूझलए<br />जे हमर प्रेम<br />गुड़ियाम मे बान्हल एक टा पियासल बरद अछि<br />जे खाली बाल्टी केँ देखि-देखिक’ भरि राति हुकरैत अछि<br /><br />हमर प्रेम अछि<br />छिट्टा सँ झाँपल एक टा छागर<br />जे बन्द दुनिया सँ बहरयबाक बेर-बेर चेष्टा करैत अछि<br /><br />हमर प्रेम धूरा-गर्दा मे जनमल एक टा टुग्गर चिलका अछि<br />जे दीने-देखार हेरा गेल अछि<br />बीच बाजार मे<br /><br />तखन अहीं कहू<br />कोना हम अपन आत्माक फोका केँ<br />एक टा मृदुल भंगिमाक संग अहाँक सम्मुख तस्तरी मे राखि दी<br />आ कही-<br />लिअ’ ग्रहण करू…<br /><br />हमर प्रेम जँ किछु अछि तँ एक टा फूजल केबाड़<br />हमर प्रेम जँ किछु अछि तँ एक टा कातर पुकार<br />कि आउ<br />अइ दुनियाक सभ सँ कोमल आ सभ सँ धरगर चीज बनिक’<br />आबि जाउ<br /><br />अहाँक स्वागत मे<br />हमरा ठोर सँ ल’क’ अहाँक ओसार धरि जे ओछाओल अछि<br />ओ कोनो कालीन नहि<br />अहाँक तरबा लेल व्यग्र<br />खून सँ छलछ्ल करैत हमर ह्रदय अछि<br /><br />आ हमर हड्डीक प्राचीन अंधकार मे<br />ओसक एक टा बुन्न सन कोमल<br />अनेक युग सँ अहाँक बाट ताकि रहल अछि हमर प्राण…<br /><br />हमर प्राण अछि अहाँक आघात लेल आतुर<br />अहाँक आघात एहि जीवनक एक मात्र त्राण</div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08572611443817710195noreply@blogger.com9tag:blogger.com,1999:blog-8057170268204339385.post-43433351343918967942009-02-27T22:32:00.000-08:002009-02-27T22:40:27.890-08:00<a href="http://3.bp.blogspot.com/_yPmU8_KKUfs/SajapIwQzjI/AAAAAAAAACU/HQi3WN-Bt7k/s1600-h/animesh+vishvas.gif"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5307732561115532850" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 400px; CURSOR: hand; HEIGHT: 400px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://3.bp.blogspot.com/_yPmU8_KKUfs/SajapIwQzjI/AAAAAAAAACU/HQi3WN-Bt7k/s400/animesh+vishvas.gif" border="0" /></a> साभार:अनिमेश बिस्वास<br /> <br /> <strong><span style="font-size:130%;"> बभनगमाबाली भौजीक जीवनक महत्वपूर्ण<br /> घटना सभक एकटा संक्षिप्त विवरणिका<br /></span></strong><br /> आ से एहेन अहिबाती के हेती<br /> जे बभनगमाबाली भौजीक सोहाग-भाग देखि जरि नइँ जेती<br /><br /> ओना मानलहुँ<br /> जे हुनका पोथी-पतराक दर्शन नइँ भेलनि<br /><br /> मानलहुँ जे पाबनि-तिहारे हुनका तेल-कूड़ भेटलनि<br /><br /> मनलहुँ जे चाभीक गुच्छा<br /> ओ कहियो अपन आँचर में नहि बान्हि सकलीह<br /><br /> ईहो मानलहुँ जे लाख कबुलाक बादो<br /> आजीवन ओ दोसर पुत्र-रत्न प्राप्त नहि क’ सकलीह<br /><br /> मुदा निस्सन्देह<br /> एकटा भरल-पूरल जीवन केँ छाँटैत-फटकैत<br /> अपन 37 बरखक बयस में ओ<br /> 38289 टा सोहारी पकेलीह<br /> 2173 डेकची भात पसेलीह<br /> 13000 बेर बर्त्तन-बासन माँजलीह<br /> 307 बेर आँगन निपलीह<br /> 47 टा साड़ी आ 92 टा ब्लाउज पहिरलीह<br /> 275 राति भूखल सुतलीह<br /> हुनका 3 बेर भेटलनि सम्भोगक सुख आ 949 बेर भेलनि बलत्कार<br /> बेटी जनमौलनि 4 टा<br /><span class=""> आ</span> 5 बेर भेलनि गर्भपात<br /><br /> मुदा ई देखू सबसँ मार्मिक बात<br /> जे ठीक बरसातिक प्रात<br /> जखन हुनक सीथ रहनि सिनूर सँ कहकह करैत<br /> आ भरल रहनि लहठी सँ हाथ<br /> तखन अपन स्वामीक आगू ओ<br /> बिना अन्न-जल ग्रहण कयने भ’ गेली विदा<br /> <br /> <strong><span style="font-size:130%;"> अथ वैदेही कथा<br /></span></strong><br />ओकरो आँखि मे<br />अगहनक रौद आ फागुनक मधु उतर’ लगैत छैक<br />ओकरो सपना में उड़ियाब’ लगैत छैक रंग<br />ओकरो देह बाज’ लगैत छैक<br />मौसमक संग-संग<br /><br />ओकरो पड़ोसिया<br />ओकरा देखिक’ कनफुसकी कर’ लगैत छैक<br />ओकरो माए ‘कुलच्छनी’ बेटीक चालि-चलन देखिक’<br />कानए-उसझए लगैत छैक<br />ओकरो बाप भटक’ लगैत छैक-<br />गामे-गाम<br />एक दिन ओहो चल जाइत अछि सासुर<br />एक दिन बिला जाइत छैक ओकरो नाम<br /><br />एक बेर आर अपन नैहर जयबाक मनोरथ लेने<br />ओहो पसबैत अछि भात<br />आ कहैत अछि-<br />हमरा त मड़ुएक रोटी नीक लगैत अछि<br /><br />ओहो नीपैत अछि चिनवार<br /><br />लेपैत अछि टुटलहा ओसार<br />भोर-साँझ माँजैत अछि डेकची-लोहियाक अम्बार<br />ओकरो काया बनि जाइत छैक पीड़ाक खम्हार<br /><br />ओहो झहरैत जाइत अछि<br />टूटल घर केँ टूट’ सँ बचाब’ मे<br /><br />ओहो नैहर सँ आयल लोक केँ पीढ़ी दैत अछि<br />जल पियाबैत अछि आ तमाकू दैत अछि<br />आ कहैत अछि-<br />कतेक सुख अछि! कतेक सुख अछि!<br /> <br /><div></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08572611443817710195noreply@blogger.com3tag:blogger.com,1999:blog-8057170268204339385.post-91545663676823046342009-02-23T08:40:00.000-08:002009-02-23T08:50:06.644-08:00<div><a href="http://4.bp.blogspot.com/_yPmU8_KKUfs/SaLR04XEQAI/AAAAAAAAAB0/mfaR91L_6Gw/s1600-h/b_642.jpg"><img id="BLOGGER_PHOTO_ID_5306034017408401410" style="DISPLAY: block; MARGIN: 0px auto 10px; WIDTH: 400px; CURSOR: hand; HEIGHT: 300px; TEXT-ALIGN: center" alt="" src="http://4.bp.blogspot.com/_yPmU8_KKUfs/SaLR04XEQAI/AAAAAAAAAB0/mfaR91L_6Gw/s400/b_642.jpg" border="0" /></a> </div>
<br /><div> <strong><font size="4">भेद-विभेद<br /></font></strong><br /> हम देखै छी आकाश मे हाँजक हाँज सुग्गा केँ कुचरैत<br /> तँ लगैत अछि<br /> जे असंख्य पात कलरव करैत<br /> विदा भ’ गेल अछि कोनो वानस्पतिक तीर्थयात्रा पर<br /> <br /> हम विनम्र पात सँ छारल गाछ दिस देखै छी<br /> तँ लगैत अछि<br /> जे असंख्य सुग्गा सभ<br /> योगासनक अलग-अलग मुद्रा में<br /> अछि गाछ पर चुपचाप बैसल<br /><br /> हे भगवान!<br /> हमरा कहिया भेटत ओ दुर्लभ दृष्टि<br /> कि विभेदक एहि मटकुइयाँ सँ बहार निकलि सकब हम!<br /><br /> <strong><font size="4"> पिता</font></strong><br /><br /> <span class=" transl_class" id="0" title="Click to correct">आधा</span> उमेर बीत गेल<br /> <span class=" transl_class" id="1" title="Click to correct">एहि</span> प्रयास मे<br /> <span class=" transl_class" id="2" title="Click to correct">जे</span> कोना<br /> <span class=" transl_class" id="3" title="Click to correct">पिताक</span> प्रभाव सँ होइ मुक्त<br /><br /> मुक्ति तँ खैर की भेटितै<br /> हँ हमर बदला<br /> पिता केँ मुक्ति भेटि गेलनि अवश्य<br /><br /> आब हमरो अछि एक टा संतान<br /> आब हमहुँ बनि गेल छी एक टा पिता<br /><br /> आब हम अप्पन भेस<br /> अप्पन भाषा<br /> आ अप्पन भंगिमा मे<br /> पल-प्रतिपल<br /> अप्पन पिता केँ पुनर्जन्म लैत देखैत रहै छी…<br /><br /> <strong><font size="4"> बुद्ध सँ<br /></font></strong><br /> नहि तथागत<br /> एना नहि भेटैत अछि मुक्ति<br /><br /> अहाँ तँ कहियो<br /> दूधक गंध सँ सुवासित चिलकाक<br /> भमरा सन आँखि केँ निहारैत<br /> पल-प्रतिपल<br /> अपना केँ पुनर्जन्म लैत देखिए नहि सकलहुँ<br /><br /> अहाँ तँ<br /> हाड़तोड़ मेहनतिक बाद<br /> रोटी आ पियाउजक अमृत स्वाद सँ अनवगते रहलहुँ<br /> आ आखर मचान पर<br /> नीनक प्राचीन मदिरा सँ आचमन कैए नहि सकलहुँ कहियो<br /><br /> कोनो एहेन क्षण मे<br /> जखन ई जीवन जर्जर पलस्तर जकाँ झहरि रहल हो बाहर<br /> आ भीतर एकटा झंझावात उठि रहल हो<br /> तखन कोनो स्त्रीक छाह में कहियो<br /> कोनो अर्थक संधान करब<br /> अहाँ सँ पारे नहि लागल<br /><br /> फेर अहाँ की जान’ गेलिऐ जे की होइ छै मुक्ति<br /><br /> <strong><font size="4"> आह!वाह!<br /></font></strong><br /> <span class=" transl_class" id="4" title="Click to correct">आह</span> मिथिला!<br /> वाह मिथिला!<br /> सब मिलिक’ केलिऔ<br /> तोरा खूब तबाह मिथिला!<br /><br /> <strong><font size="4"> एक दिन</font></strong><br /><br /> <span class=" transl_class" id="5" title="Click to correct">आइ</span> नहि तँ काल्हि<br /> कल्हि नहि तँ परसू<br /> परसू नहि तँ तरसू<br /> नहि तरसू..नहि महीना..किछु बरखक बाद…<br /><br /> एक दिन अहाँ घूरि क’ आयब अही चौकठि पर<br /> आ बेर-बेर अपनहि सँ कहब अपना-<br /> धन्यवाद! धन्यवाद!<br />
<br /><div></div></div>Anonymoushttp://www.blogger.com/profile/08572611443817710195noreply@blogger.com5